स्कन्दपुराणम्/खण्डः ६ (नागरखण्डः)/अध्यायः २५५
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वर्षाकाले च संप्राप्ते भक्तियोगे जनार्दने ॥
महेश्वरेऽथ दुर्गायां न भूयः स्तनपो भवेत् ॥ १२ ॥
गणेशस्य सदा कुर्याच्चातुर्मास्ये विशेषतः ॥
पूजां मनुष्यो लाभार्थं यत्नो लाभप्रदो हि सः ॥१३॥
सूर्यो नीरोगतां दद्याद्भक्त्या यैः पूज्यते हि सः॥
चातुर्मास्ये समायाते विशेषफलदो नृणाम् ॥ १४ ॥
इदं हि पंचायतनं सेव्यते गृहमेधिभिः ॥
चातुर्मास्ये विशेषेण सेवितं चिंतितप्रदम् ॥ १५ ॥
Vishnu, Shiva, Durga, Ganapati and Surya are mentioned here.
वर्षा काल आने पर (चातुर्मासमें) भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवती दुर्गाकी उत्तम भक्ति करनेसे मनुष्यका पुनर्जन्म नहीं होता। भगवान गणेशकी भी पूजा चातुर्मासमें विशेष रूपसे करनी चाहिए। वह पूजा मनुष्योंके लिए विशेष फलदायी है क्योंकि गिरिजानंदन अत्यंत वरदायी देवता हैं। भगवान सूर्य निरोगता देने वाले हैं जो इनकी पूजा करता है। चातुर्मासमें तो ये और फलदायी हो जाते हैं। इस प्रकार गृहस्थ पुरुषों द्वारा सेवा करनेसे सभी कामनाएँ प्रदान करने वाली पंचायतन पूजा चातुर्मास में अवश्य करनी चाहिए।
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